Saturday, June 10, 2023
Homeরাজ্যक्लोनिंग तकनीक पशुपालकों के लिए वरदान

क्लोनिंग तकनीक पशुपालकों के लिए वरदान

करनाल/केसी आर्य: राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान की क्लोनिंग तकनीक पशुपालकों की आय को बढ़ाने में कारगर साबित होगी।  पूरी तरह सफल संस्थान की इस तकनीक का फायदा जल्द ही किसानों को मिलने लगेगा। दुनिया भर में एनडीआरआई ही ऐसा एकमात्र संस्थान है जिसने भैंसों में क्लोनिंग तकनीक की शुरुआत की है। इनके काफ के सीमन से जो मुर्राह कटड़ियाँ पैदा होंगी वह  एक दिन में 10 से 12 किलो दूध देंगी। इस तरह क्लोनिंग तकनीक से दूध उत्पादन दोगुना होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

vlcsnap 2020 09 22 21h00m45s15 vlcsnap 2020 09 22 21h00m52s131

संस्थान के निदेशक डॉ एम एस चौहान ने बताया की इस साल जून में पैदा हुए क्लोन कटड़े का नाम तेजस रखा है। यह मुर्राह नस्ल का कटड़ा 20 जून को पैदा हुआ था जो इस संस्थान में में इस तकनीक से पैदा हुआ 16 वां कटड़ा है।  उन्होंने कहा की तेजस के आठ और भाई हैं जिनमे 6 राष्ट्रिय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार में और 2 करनाल में हैं। उन्होंने कहा की   गौरतलब है की एनडीआरआई में हैंड गाइडेड  तकनीक पर 2009 में पहली बार क्लोन कटड़ी गरिमा का जन्म हुआ था।

इसके जन्म और तकनिकी की कामयाबी से पूरी दुनिया हतप्रभ रह गई थी।  डॉ चौहान ने कहा की जिस भैंसे के कान का टुकड़ा लेकर क्लोन तैयार किया गया उस काफ में वही गुण आएंगे . काफ के सीमन का भैंसों के गर्भाधान में इस्तेमाल किया जायेगा।  एनडीआरआई ने क्लोनिंग तकनीक हिसार केंद्र को दी और वहां के वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण भी दिया है।

निदेशक ने कहा की क्लोनिंग तकनीक का देश के कई संस्थानों में इस्तेमाल हो रहा है।  उन्होंने कहा की वे क्लोनिंग के काम को और आगे बढ़ाएंगे , देश में जिस तरह जनसंख्या बढ़ रही है उसी लिहाज से दूध उत्पादन बढ़ाना जरुरी है।  देश में दूध और दूध उत्पादों की मांग बढ़ रही है।  कोरोना काल में अनुसंधान का कुछ काम प्रभावित हुआ था अब फिर से काम शुरू कर दिया है , अगले साल क्लोनिंग से और भी कटड़े पैदा किये जायेंगे।

RELATED ARTICLES
Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it

Most Popular